राष्ट्र

कटारा हत्याकांड: 30 साल कैद

नई दिल्ली | एजेंसी: दिल्ली उच्च न्ययायालय ने नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषियों को कड़ी सजी सुनाई है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को विकास यादव और उसके चचेरे भाई विशाल यादव को नीतीश कटारा हत्याकांड में 30 साल कैद की सजा सुनाई. न्यायालय ने कहा कि दोषियों को सजा में कोई छूट नहीं मिलेगी. नीतीश विकास की बहन के मित्र थे. न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति जे.आर. मिधा की विशेष पीठ ने इस मामले में विकास, विशाल तथा सुखदेव पहलवान को मृत्युदंड देने की पुलिस तथा नीतीश कटारा की मां की अपील खारिज कर दी.

पीठ ने हत्या के लिए दोनों भाइयों को 25 साल की कैद, जबकि सबूत नष्ट करने के लिए पांच साल की कैद सुनाई है. दोनों सजाएं यथाक्रम से होंगी. न्यायालय ने प्रत्येक पर 54 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

न्यायालय ने पहलवान को 25 साल की जेल की सजा तथा 20 हजार रुपये का जुर्माना किया है. पीठ ने कहा कि दोषियों को सजा में कोई छूट नहीं मिलेगी.

विकास तथा विशाल के वकील ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ वह सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे.

पीठ ने कहा है कि तीनों हत्यारों को मृत्युदंड की मांग करने वाली नीलम कटारा को यादव बंधुओं से मुआवजे के तौर पर 40 लाख रुपये मिलेंगे.

फैसले के बाद नीलम कटारा ने कहा, “मैं फैसले का सम्मान करती हूं. मैं इस बात की प्रशंसा करती हूं कि कम से कम उन्होंने सजा बढ़ाने पर तो सहमति जताई. मैं इससे सहमत हूं. लेकिन मैं सर्वोच्च न्यायालय की ओर रुख करूंगी.”

उन्होंने कहा, “चाहे जितना मुआवजा दिया जाए, मेरा बेटा लौटकर नहीं आएगा. अगर मैं मुआवजे को स्वीकार करती हूं, तो यह मेरे बेटे के साथ अन्याय होगा.”

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, विकास यादव तथा विशाल यादव ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के एक विवाह समारोह से नीतीश कटारा को अगवा किया और 17 फरवरी, 2002 की रात उसकी हत्या कर दी. दोनों अपनी बहन भारती से कटारा की दोस्ती का विरोध करते थे.

विकास तथा भारती के पिता पूर्व सांसद डी.पी.यादव हैं.

विकास तथा विशाल को साल 2008 में कटारा की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था. कटारा के पिता भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी रहे हैं.

न्यायालय ने शुक्रवार को अपने फैसले में यह भी कहा कि विकास द्वारा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में 10 अक्टूबर, 2011 से चार नवंबर, 2011 तक बिताया गया समय सजा में नहीं जोड़ा जाएगा.

पीठ ने कहा कि एम्स में ठहरने तथा उसकी सुरक्षा पर हुए खर्च के लिए दोषी को दिल्ली सरकार को 2.39 रुपये चुकाने होंगे.

नीलम कटारा ने आरोप लगाया कि पैसे तथा राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए विकास कई बार अस्पताल गया.

न्यायालय ने कहा कि विशाल यादव द्वारा बत्रा अस्पताल में बिताए गए 320 दिन सजा में नहीं जोड़े जाएंगे और सजा मिलने के बाद सात बार अस्पताल में भर्ती होने पर खर्च हुए 15.39 लाख रुपये को दिल्ली सरकार को देने के लिए कहा है.

पीठ ने दो अप्रैल, 2014 को निचली अदालत द्वारा साल 2008 में दिए गए तीनों के आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए इस मामले को सम्मान के लिए हत्या बताया था.

विशाल व विकास यादव ने यह कहते हुए मामले की दोबारा सुनवाई की मांग की थी कि यह कानून सम्मत नहीं हुआ है.

उल्लेखनीय है कि नीलम कटारा व पुलिस ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए तीनों दोषियों को मृत्युदंड देने की मांग की थी.

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