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CBFC से लीला का इस्तीफा

मुंबई | एजेंसी: शुक्रवार को लीला सैमसन ने सीबीएफसी से अपने इस्तीफे की पुष्टि कर दी. इसी के साथ फिल्म ‘एमएसजी’ को लेकर चल रहा विवाद अब राजनीतिक मोड़ लेने लगा है. लीला सैमसन ने सरकार पर आरोप लगाया है वहीं, सरकार ने इसे लीला सैमसन का निजी फैसला करार दिया है. उधर, डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह अभिनीत फिल्म ‘एमएसजी-द मैसेंजर ऑफ गॉड’ के निर्माताओं ने शुक्रवार को दावा किया कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने उन्हें फिल्म रिलीज करने की इजाजत दे दी है. डेरा सच्चा सौदा के प्रवक्ता पवन इंसान ने कहा कि उन्हें शुक्रवार को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की ओर से औपचारिक स्वीकृति पत्र मिल गया. उल्लेखनीय है कि सरकार पर दखलंदाजी का आरोप लगाते हुए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष पद से लीला सैमसन ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने शुक्रवार को विवादास्पद फिल्म ‘एमएसजी’ की वजह से पद छोड़ने की अफवाहें खारिज कीं. लीला ने शुक्रवार सुबह कहा, “यह बिल्कुल सच है कि मैंने इस्तीफा दे दिया है. मैंने पिछली रात एक एसएमएस और आज एक ईमेल व पत्र के जरिए इस्तीफा दे दिया.”

लीला, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की अध्यक्ष रहीं. सीबीएफसी, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन काम करने वाला एक सांविधिक संगठन है. यह सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1952 के तहत फिल्मों के प्रदर्शन को नियंत्रित करता है.

मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना लीला वर्ष 2011 में इसकी अध्यक्ष नियुक्त की गई थीं. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा सेंसर बोर्ड के कामकाज में की जा रही दखलंदाजी के चलते उन्होंने इस्तीफा दिया. उन्होंने इसे संगठन सदस्यों में व्याप्त भ्रष्टाचार और दबाव बताया.

लीला ने उन कयासों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया है कि फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की फिल्म ‘एमएसजी-द मैसेंजर ऑफ गॉड’ को हरी झंडी देने की वजह से उन्होंने इस्तीफा दिया.

पूछे जाने पर कि इस्तीफा देने की वजह ‘एमएसजी’ थी? लीला ने कहा, “यह वजह नहीं है.”

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि इस्तीफा लीला का निजी फैसला है. सरकार की ओर से कोई दबाव नहीं था.

राज्यवर्धन ने कहा, “जो भी निर्णय हो, यह सबके लिए स्वीकार्य होगा. सरकार की ओर से कोई दबाव नहीं था. अगर उन्हें ऐसा लगता है, तो उन्हें सरकार को बताने देते हैं.”

सेंसर बोर्ड की जांच समिति ने ‘एमएसजी’ को कथित तौर पर ‘रिजेक्ट’ कर दिया था और इसे पुनरीक्षण समिति के पास भेजा था.

लीला ने अपने शुरुआती बयान में कहा था, “मंत्रालय द्वारा नियुक्त किए गए संगठन के सदस्यों एवं अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार, उनका हस्तक्षेप और दबाव इसकी वजह है. इसके अलावा नौ माह से अधिक समय बीतने पर भी बोर्ड द्वारा बैठक न बुलाना भी वजह है, क्योंकि मंत्रालय के पास सदस्यों की बैठक के लिए ‘कोई अनुदान’ नहीं है.”

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