प्रसंगवश

अगले जनम मोहे…

कनक तिवारी
देश के प्रधानमंत्री बनने के दबंग दावेदार नरेन्द्र मोदी 125 करोड़ लोगों की ज़िन्दगी को संवारने का दावा कर रहे हैं. उन्होंने लेकिन एक सभ्य, सहनशील और सांस्कारिक पत्नी जसोदा बेन को निस्संग बनाकर रख दिया है.

मोदी का ब्याह कच्ची उम्र में हो गया था लेकिन वे इतने भी नासमझ नहीं थे कि उनकी शादी जबरिया की गई होगी. उन्होंने तीन वर्षों का विवाहित जीवन भी बिताया. तब जसोदा बेन बीस वर्ष की हो गई थीं. दाम्पत्य का इतना निर्वाह करने के बाद पत्नी को अकारण अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते छोड़ देना सरासर अमानवीय कृत्य है.

लोकतंत्र और संघ परिवार के आदर्श अयोध्या के राजा राम पर भी यह तोहमत तो लगती है कि उन्होंने अग्नि परीक्षा में सफल होने के बाद भी राजमाता सीता का अयोध्या से निष्कासन कर दिया था. गर्भवती सीता को जंगल में वाल्मीकि के आश्रम में रहना पड़ा. अन्ततः उन्हें धरती की समाधि लेनी पड़ी.

महाभारत की नायिका द्रौपदी के पांच पति थे. सत्य के प्रतीक युधिष्ठिर पत्नी को जुए में हार गए. तब राम के अगले अवतार कृष्ण ने मानो पिछली गलती को सुधारते हुए द्रौपदी की अस्मत की रक्षा की थी.

स्त्रियों पर जुल्म ढाना पुरुषों की पुश्तैनी फितरत रही है. इसके बावजूद जसोदा बेन ने कहा है कि मोदी ने यद्यपि उन्हें परित्यक्त कर दिया. फिर भी उसका उन्हें बुरा नहीं लगता. उनके अंदर एक टीस जरूर है कि मोदी ने उन्हें क्यों नहीं बुलाया या कि वे शायद कभी नहीं बुलाएंगे. फिर भी वे मोदी को प्रधानमंत्री बनता देखकर खुश हो लेना चाहती हैं.

ऐसी पत्नी मिलने पर मोदी का गुजरात के विकास वाला कथित छप्पन इंच का सीना तो गर्व से फूलना चाहिए. यह दुखद है कि नरेन्द्र मोदी ने इस संबंध में अपनी पत्नी और नारियों के प्रति कभी शर्मसार होना कुबूल नहीं किया. यही वजह है कि गुजरात के मुख्यमंत्री ने 2002 के दंगों को लेकर भी कभी खेद प्रकट नहीं किया.

तमाम राष्ट्रीय नेताओं का पारिवारिक जीवन तहस नहस रहा है. जवाहरलाल ने तपेदिक से तपती अपनी बीवी की लगातार सेवा की और आज़ादी के आंदोलन में शिरकत भी. इन्दिरा गांधी को पर्याप्त दाम्पत्य सुख नहीं मिला. विधवा जीवन भोगते हुए भी सोनिया गांधी ने असाधारण साहस और विवेक का परिचय दिया है. लालकृष्ण आडवाणी का दाम्पत्य जीवन भी संयमित है. ऐसा कई प्रधानमंत्रियों के साथ रहा है.

यशोदा बेन ने भारतीय नारीत्व और पत्नी धर्म का अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया है. देश का हर नागरिक उनके प्रति श्रद्धा के साथ सिर झुकाना चाहेगा.

* उसने कहा है-4

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