विविध

विश्व स्वास्थ्य दिवस और मोहल्ला क्लिनिक

फौजिया रहमान खान
विश्व स्वास्थ्य संगठन की शुरुआत 7 अप्रैल 1948 को हुई. इस संस्था का केंद्र स्विट्जरलैंड का जिनेवा शहर में है. संस्था में 7000 से अधिक लोग कार्यकर्ता के रुप में दुनिया भर में फैले 150 देशों में मौजूद कार्यालयों में काम करते हैं. ताकि न केवल जनता के स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाए बल्कि स्वास्थ्य को लेकर जनता को जागरूक रखने के लिए हर साल 7 अप्रैल को “विश्व स्वास्थ्य दिवस” के रूप में भी मनाने का निर्णय लिया गया. जो आज भी चल रहा है.

हमारे देश में सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य प्रणाली का मूल्यांकन केवल इस बात से किया लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों एक खबर के अनुसार हमारा देश, दुनिया भर में सुर्खियों में रहा. दरअसल खबर थी कि एक पति कई किलोमीटर तक अपनी पत्नि के शव को कंधे पर लादे फिर रहा था. कुछ ही दिनों बाद यह घटना भी सामने आई कि एक बेटा अपने पिता के शव को तोड़-मरोड़ कर बाइक पर लाद कर ले जाने के लिए मजबूर था. मालुम हो कि दोनों मौतें सरकारी अस्पतालों में हुई थीं और उन्हें एम्बुलेंस देने से इनकार कर दिया गया था. इन स्थितियों में अगर दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जाने वाले प्रोजेक्ट “मोहल्ला क्लिनिक” की बात की जाए तो इसकी प्रशंसा पहले संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान ने की उसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के पूर्व निदेशक जनरल डॉक्टर ग्रो हारलेम ब्रुन्डलैंड (Dr.Gro Harlem Brundtland) ने भी की है. पाठको के मन में यह प्रश्न आ रहा होगा कि इस “मोहल्ला क्लिनिक” की क्या विशेषता है जो उसकी सराहना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है? तो आपको बता दें कि पिछले वर्ष की एक रिपोर्ट बताती है कि “अप्रैल से दिसंबर तक 110 मोहल्ला क्लिनिकों में 15 लाख
मरीजों का इलाज किया जा चुका है” .पूरी दिल्ली में बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए दिल्ली सरकार ने 31 मार्च 2017 तक 1000 क्लिनिक खोलने का निर्णय लिया था. यह क्लिनिक 110 प्रकार की बीमारियों के लिए मुफ्त में न केवल दवाएं देता है, बल्कि 212 प्रकार के नि:शुल्क चिकित्सा जांच भी उपलब्ध कराता है.

इस संबध में दिल्ली के प्रसिद्ध जामिया नगर क्षेत्र के जोगाबाई में स्थित मोहल्ला क्लिनिक में इलाज के लिए आने वाली सोबिया कहती हैं “हमें यहाँ बहुत लाभ होता है. यहाँ डॉक्टर महिला रोगियों के साथ अच्छे से पेश आते हैं. .हर रोगी को पूरा समय देते हैं, उनकी बातों और शिकायतों को ध्यान से सुनने के बाद ही दवा लिखते हैं जो पूरी तरह से मुफ्त है “.

एक अन्य मरीज़ शाजिया ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा “जब से मोहल्ला क्लिनिक खुला है हमें बहुत आराम हो गया है. हम सभी बच्चों का इलाज यहीं करवाते हैं. यहां के डॉक्टर सारे मरीजों को नंबर से देखते हैं. यहाँ कोई रिश्वत देकर अपना इलाज पहले नहीं करा सकता जैसा कि अक्सर जगहों पर देखने या सुनने को मिलता है.”

दिल्ली के जामा मस्जिद इलाके से संबंध रखने वाली एक अन्य महिला ने बताया “2015 में मैंने कस्तूरबा गांधी अस्पताल में देखा कि रोगी पिछले दो-तीन घंटे से लाइन में खड़ा अपनी बारी का इंतजार कर रहा है. इसी बीच पीछे से दूसरा रोगी आता है और अस्पताल के स्टाफ को रिशवत देकर इलाज करवा के चला जाता है. लेकिन यहां ऐसा नहीं होता. गरीब जनता खासकर पर्दा नशीन महिलाएं सरकार के इस कदम से खुश हैं कि अब अपने मुहल्ले में ही रिश्वतखोरी के बिना अच्छा इलाज मिल रहा है “.

मोहल्ला क्लिनिक में पहली बार अपना इलाज करवाने वाली एनआरआई महिला के अनुसार “यहाँ ज्यादा भीड़ इसलिए हो जाती है कि जिन महिलाओं का नंबर बाद में है वह पहले से ही लाइन में लगी रहती हैं, जबकि डॉक्टर नंबर से ही देखते हैं लेकिन फिर भी खड़ी रहती हैं जिसकी वजह से मरीज और स्टाफ दोनों को परेशानी होती हैं”.

लैब टेक्नीशियन के पद पर नौकरी करने वाली उत्तराखंड की महिला सुषमा शिकायत भरे लहजे में कहती हैं कि” हमें यहां कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कई बार रोगी बहुत बुरी तरह पेश आते हैं. दिल चाहता है उनका इलाज कभी न करूं लेकिन कुछ नहीं कर सकती क्योंकि फिर दूसरी नौकरी मिलना मुश्किल है.” आगे स्टाफ की कमी की ओर इशारा करते हुए कहती हैं “जो भी दवा आती है मुझे ही सबको सही जगह पर रखन पड़ता है, जबकि इन सभी काम के लिए और स्टाफ की जरूरत है, वेतन भी बहुत कम है”.

मोहल्ला क्लिनिक में सुबह 9 बजे से 1 बजे तक रोगियों से घिरे डॉक्टर मुस्कुराते हुए कहते हैं “हमें यहां काम करने में अच्छा लगता है. रोगियो को देखने में परेशानी नहीं होती. दिल्ली सरकार का यह प्रजोक्ट बहुत अच्छा है, इसके कारण प्राइवेट क्लिनिक घाटे में जा रहे हैं “.

महिलाओं के स्वास्थ्य के संबंध में गृहिणी इफ्फत रहमान भावुक होकर कहती हैं “महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखना चहिए, क्योंकि उन पर घर की सारी ज़िम्मेदारी होती है. उन्हें अपने बच्चों और पति के अलावा बुजुर्ग सास ससुर और अन्य लोगों का भी ख्याल रखना पड़ता है. अगर महिला नौकरी पेशा है तो उसकी जिम्मेदारी घर के साथ कार्यालय की भी होती है. इसलिए महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का खास ख्याल रखना चाहिए “.

महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि दिल्ली सरकार का मोहल्ला क्लिनिक देश भर के सभी राज्यों के लिए किसी रोल मॉडल से कम नही. इसलिए केंद्र और अन्य राज्य सरकार को चाहिए कि वह इस सफल प्रयास को अपने-अपने राज्यों में भी स्थापित करें. ताकि फिर किसी पति को पत्नी का शव कंधे पर और बेटे को बाप की लाश साइकिल पर रखकर चलने की नौबत न आए, और न ही सारी दुनिया में हमरी जगहंसाई हो.
(चरखा फीचर्स)

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