छत्तीसगढ: नोटबंदी से बेरोजगारी बढ़ी
रायपुर | संवाददाता: नोटबंदी के बाद से राज्य में हजारों बेरोजगार हुये हैं. नोटबंदी के कारण छाई मंदी से उद्योग तथा व्यापार प्रभावित हुये हैं. इसके चलते राज्य के हजारों संगठित तथा असंगठित क्षेत्र के कामगार बेरोजगार हो गये हैं. कामगार संगठनों का कहना है कि नोटबंदी का असर खत्म होने में साल भर का समय लगेगा. तब तक पूरी अर्थव्यवस्था के चरमरा जाने की आशंका है.
माकपा के राज्य सचिव संजय पराते का कहना है कि छत्तीसगढ़ में करीब 21 लाख संगठित तथा असंगठित क्षेत्र के कामगार हैं. नगदी की समस्या के कारण कामगारों का का भुगतान रोका जा रहा है जिससे उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है.
छत्तीसगढ़ की राजधानी के औद्योगिक क्षेत्र उरला, सिलतरा, भनपुरी एवं बिलासपुर के सिरगिट्टी तथा भिलाई-चरौदा, रायगढ़ और राजनांदगांव में नोटबंदी के बाद से करीब 2 से 5 हजार मजदूरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है.
राज्य के होटलों, ढ़ाबों तथा मिठाई के दुकानों पर नोटबंदी का सीधा असर यह हुआ है कि वहां काम करने वाले लोगों का हटा दिया गया है तथा उऩसे माहभर बाद आने को कहा गया है.
छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इटस्ट्रीज से संबंध उद्योग चेम्बर के अध्यक्ष अनिल नचरानी का कहना है कि नोटबंदी की वजह से हालात ठीक नहीं है. उत्पादित माल का 40 फीसदी ही बिक पा रहा रहा है.
उल्लेखनीय है कि जब केन्द्र सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी छत्तीसगढ़ में नोटबंदी से पड़े प्रभाव का आकलन करने आये थे तो यह बात निकलकर सामने आई थी कि राज्य में 50 फीसदी व्यापार मंदा पड़ गया है.
उसके पहले हिन्दी के एक प्रतिष्ठित अखबार द्वारा मौके पर जाकर जो आकलन किया गया था उसके अनुसार भी राज्य में करीब 70 फीसदी व्यापार मंदा पड़ गया है.
उधर, इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल के अनुसार नोटबंदी के बाद आई मंदी के कारण हुई छंटनी के कारण देशभर में 4 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है. इसमें संगठित तथा असंगठित क्षेत्र के कामगार शामिल हैं.
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