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मानसून पहुंचा छत्तीसगढ़, भारी बारिश की चेतावनी

रायपुर | संवाददाता: मानसून छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर गया है.बुधवार को इसने तेलंगाना के रास्ते बस्तर में दस्तक दी. बस्तर में बुधवार को तीन सेंटीमीटर बारिश की खबर है.

मौसम विभाग का कहना है कि अगले 24 घंटों में राज्य के दक्षिणी हिस्से में भारी बारिश हो सकती है.

हालांकि राज्य के अलग-अलग हिस्सों में उमस और गरमी बनी हुई है. बिलासपुर में बुधवार को भी मौसम का पारा 40 के आसपास था. इसी तरह रायपुर और अंबिकापुर में भी मौसम 38 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो अगले 2-3 दिनों में पूरे प्रदेश में मानसून की बारिश शुरु हो जायेगी. इस बार पिछले कई सालों की बारिश के रिकार्ड टूटने के आसार भी नज़र आ रहे हैं. हालांकि चिंता इस बात को लेकर भी है कि देश के की हिस्सों में चक्रवात और तूफान के कारण मानसून कई जगहों में ठहरा हुआ भी नजर आ रहा है.

इधर राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस बार बारिश के मौसम में वृक्षारोपण के लिये विशेष निर्देश दिये हैं. एक बैठक में रमन सिंह ने अधिकारियों के निर्देश दिये कि सड़कों के किनारे सघन छायादार पेड़ लगाए जाने चाहिए. साथ ही घरों की खाली जगह पर लोगों को फलदार पेड़-पौधे लगाने और बेटियों तथा प्रियजनों और परिजनों के नाम पर वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

रमन सिंह ने अभियान के तहत इस वर्ष आयोजित होने वाले वृक्षारोपण कार्यक्रमों में लगाए गए पौधों के फोटो सोशल मीडिया में भी अपलोड़ करने के निर्देश दिए, ताकि अगले वर्ष के अभियान से पहले उनकी प्रगति की समीक्षा की जा सके. मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष अभियान के तहत किए गए वृक्षारोण कार्यो का थर्ड पार्टी से सोशल ऑडिट करवाया जाए. वृक्षारोपण वाले रकबों में प्रत्येक पांच हेक्टेयर में एक सोलर पम्प लगा कर रोपित पौधों की सिंचाई की व्यवस्था की जाए, ताकि पौधों का बेहतर संरक्षण और संवर्धन हो सके और वहां वन्यप्राणियों के लिए चारे की भी अधिक से अधिक पैदावार हो सके.

मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी पांच राजस्व संभागों – रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, बस्तर और सरगुजा में एक-एक हाईटेक नर्सरी बनाने और वहां हर साल कम से कम एक करोड़ उत्कृष्ट आकार के स्थानीय प्रजाति के पौधे तैयार करने के भी निर्देश दिए.

उन्होंने कहा- रोपणियों में अधिक से अधिक मात्रा में उत्कृषट गुणवत्ता के पौधे तैयार किये जाएं ताकि स्थानीय आवश्यकता की पूर्ति के साथ-साथ अन्य राज्यों को पौधों वितरण की कार्यवाही सम्भव हो सके. वन कर्मचारियों को लगातार रोपण एवं रोपणी से संबंधित आधुनिक तकनीक से अवगत कराने हेतु लगातार प्रशिक्षण दिया जाए. प्रत्येक रोपण क्षेत्रा का जी.पी.एस. से सर्वेक्षण कराया जाए और के.एम.एल. फाईल बनाकर वर्ष में 04 बार सेटेलाईट इमेजरी प्राप्त की जाए इसके लिए प्रत्येक तीन माह में सेटेलाईट इमेजरी प्राप्त करने हेतु तिथि तय की जाए.

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