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अभी नजरबंद रहेंगी सुधा भारद्वाज

नई दिल्ली | संवाददाता: नक्सल कनेक्शन के आरोप में गिरफ्तार छत्तीसगढ़ की सुधा भारद्वाज समेत 5 लोगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एसआईटी गठित करने से भी इंकार कर दिया है.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इन कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई के लिये इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य की याचिकायें ठुकरा दीं. अदालत ने कहा कि आरोपी इस बात का चयन नहीं कर सकते कि मामले की जांच किस एजेन्सी को करनी चाहिए और यह सिर्फ राजनीतिक दृष्टिकोण में भिन्नता का मामला नहीं है.

न्यायमूर्ति खानविलकर ने अपनी और प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की ओर से फैसला सुनाया गया, जबकि न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ ने कहा कि वह दो न्यायाधीशों के दृष्टिकोण से सहमत नहीं हैं. अदालत ने कहा कि इन कार्यकर्ताओं की घरों में नजरबंदी का संरक्षण चार सप्ताह और लागू रहेगा ताकि आरोपी उचित कानूनी मंचों से उचित कानूनी राहत का अनुरोध कर सकें.

ये गिरफ्तारियां असहमति वाली गतिविधियों की वजह से नहीं हुयीं. अदालत ने कहा कि पहली नजर में प्रतिबंधित भाकपा माओवादी से उनके संपर्क दर्शाने वाली सामग्री है. न्यायमूर्ति खानविलकर ने इस मामले में और कोई टिप्पणी करने से गुरेज करते हुये कहा कि इससे आरोपी और अभियोजन का मामला प्रभावित हो सकता है.

पुलिस को लिया आड़े हाथ

दूसरी ओर दो जजों से अलग न्यायमूर्ति चन्द्रचूड़ ने अपने असहमति वाले फैसले में कहा कि इन पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी सत्ता द्वारा असहमति की आवाज दबाने का प्रयास है और यह अहसमति सजीव लोकतंत्र का प्रतीक है. न्यायमूर्ति चन्द्रचूड़ का कहना था कि यदि समुचित जांच के बगैर ही पांच कार्यकर्ताओं पर जुल्म होने दिया गया तो संविधान में प्रदत्त स्वतंत्रता का कोई मतलब नहीं जायेगा.

उन्होंने कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिये याचिका को सही ठहराते हुये महाराष्ट्र पुलिस को प्रेस कांफ्रेस करने और उसमें चिट्ठियां वितरित करने के लिये आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज के कथित पत्र टीवी चैनलों पर दिखाये गये. पुलिस द्वारा जांच के विवरण मीडिया को चुन-चुन कर देना उसकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है.

गौरतलब है कि महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसबंर को ‘एलगार परिषद’ के आयोजन के बाद कोरेगांव-भीमा गांव में हुयी हिंसा के मामले में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में पांच कार्यकर्ताओं को 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार किये गये पांच लोग वरवरा राव, अरूण फरेरा, वर्नेन गोन्साल्विज, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 29 अगस्त से अपने-अपने घरों में नजरबंद हैं.

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