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जंगल सफारी के कर्मचारियों को वेतन नहीं

रायपुर | संवाददाता: देश की सबसे बड़ी जंगल सफारी में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को महीनों से वेतन देना बंद कर दिया गया है. बार-बार के अनुरोध के बाद भी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है.

यह तब है, जब इस सफारी में जानवरों के नये बाड़े बनाने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. हालत ये है कि कर्मचारियों के सामने भूखमरी की स्थिति पैदा हो गई है.दशहरा का त्यौहार गुजर चुका है और दीवाली सामने है लेकिन वेतन का कहीं अता-पता नहीं है.

हालांकि कर्मचारियों के आक्रोश के बाद मंगलवार को अधिकारियों ने 25 लाख रुपये आवंटित किये हैं लेकिन वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि जितना बजट आवंटित किया गया है, उसमें अगस्त तक का ही वेतन बांट पाना संभव होगा.

देश के इस सबसे बड़े जंगल सफारी में लॉकडाउन के बाद से ही दर्शकों की संख्या कम हो गई है. दर्शकों की कमी के कारण जंगल सफारी की आय प्रभावित हुई है.

इसके बाद भी जंगल सफारी में करोड़ों के निर्माण कार्य जारी हैं लेकिन कर्मचारियों की सुध लेने की फुर्सत किसी को नहीं है.


शुक्रवार को ही राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सियार, लोमड़ी, लकड़बग्घा जैसे जानवरों के बाड़े का उद्घाटन किया था. इन पर भारी व्यय किया गया है. लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने दैनिक वेतनभोगियों के बकाया वेतन को लेकर हाथ खड़े कर दिये हैं.

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