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छत्तीसगढ़ में रेप पीड़ितों को मुआवजा नहीं

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में बलात्कार पीड़ित को दी जाने वाली सरकारी सहायता राशि पिछले दो सालों से लंबित है. अलग-अलग ज़िलों में ऐसी पीड़ितों की लंबी फेहरिश्त है, जिनकी सहायता राशि की फाइल धूल खा रही है.

इसके अलावा पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना के तहत दूसरे मामलों में भी पीड़ितों को सहायता राशि नहीं दी जा रही है.

अचरज की बात ये है कि पिछले दो सालों में राज्य सरकार को इस संबंध में कई बार पत्र व्यवहार किया गया. लेकिन अधिकारी इस मामले में चुप्पी साधे बैठे हुये हैं.

उदाहरण के लिये न्यायधानी बिलासपुर ज़िले को ही लें. ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण की फाइल बताती है कि लॉकडाउन से पहले 28 फरवरी 2020 को 39 मामलों में क्षतिपूर्ति के लिये ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण ने ज़िले के एसपी को पीड़ितों की क्षतिपूर्ति को लेकर लिखे गये पत्र में नाराजगी जताई थी.

पत्र में कहा गया था कि “इस पत्र के पूर्व आपको जांच प्रतिवेदन एवं पीड़िता के शपथपूर्वक कथन के लिए इस कार्यालय में उपस्थित रहने के लिये निर्देशित करने हेतु संदर्भित 29 पत्र लिखे जाने के बावजूद भी आज दिनांक तक प्रतिवेदन न प्रस्तुत करने के अभाव में निम्नानुसार प्रकरणों की कार्यवाही अनावश्यक रुप से आज तक भी लंबित है.”

इस पत्र में 39 लंबित क्षतिपूर्ति मामलों की सूची उपलब्ध कराई गई है. इन 39 में से 17 मामले नाबालिग बालिकाओं से जुड़े हुये हैं.

सीजी ख़बर के पास इससे संबंधित जो कागजात उपलब्ध हैं, उनके अनुसार 28 फरवरी की चिट्ठी के बाद भी क्षतिपूर्ति के मामले अटके हुये हैं.

दूसरी ओर ज़िले के पुलिस अधीक्षक का दावा है कि इनमें से ज्यादातर प्रकरणों में पूर्व में ही रिपोर्ट भेजी जा चुकी है एवं पीड़ित पक्ष को उपस्थित रहने निर्देशित किया जा चुका है.

बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल का कहना है कि 4 प्रकरण में ज़िला गौरेला पेंड्रा मरवाही को रिपोर्ट देने हेतु 31 अगस्त 2020 को पत्र भेजा गया है. जबकि 4 प्रकरणों में पीड़ित पक्ष के बाहर रहने से कार्यवाही पूरी नहीं हो पायी है.

पुलिस अधीक्षक के अनुसार इन आठ प्रकरणों के अलावा शेष सभी प्रकरण ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण के पास लंबित हैं.

छत्तीसगढ़ पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना

छत्तीसगढ़ पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना 2011 के अनुसार जब किसी सक्षम न्यायालय के द्वारा क्षतिपूर्ति की अनुशंसा की जाती है अथवा धारा 357 ए की उपधारा 4 के अंतर्गत किसी पीड़ित व्यक्ति अथवा उसके आश्रित के द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को आवेदन पत्र प्रस्तुत किया जाता है तब उक्त प्राधिकरण संबंधित पुलिस अधीक्षक से परामर्श तथा समुचित जांच पश्चात तथ्य एवं दावे की पुष्टि करेगा तथा 2 माह के अंदर जांच पूर्ण कर योजना के प्रावधानों के अनुरूप पर्याप्त क्षतिपूर्ति की घोषणा करेगा.

इस योजना के अंतर्गत जीवन की क्षति के लिये 1,00,000, एसीड अटैक के कारण शरीर के अंग या भाग के 80 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांगता या गंभीर क्षति के लिये 50,000, शरीर के अंग या भाग की क्षति परिणामस्वरूप 40 प्रतिशत से अधिक एवं 80 प्रतिशत से कम विकलांगता के लिये 25,000, अवयस्क बलात्कार पीड़िता को 50,000, वयस्क बलात्कार पीड़िता को 25,000 रुपये दिये जाने का प्रावधान है.

पुनर्वास के लिये 20,000, शरीर के अंग या भाग की क्षति परिणामस्वरूप 40 प्रतिशत से कम विकलांगता की स्थिति में 10,000, महिलाओं एवं बच्चों के मानव तस्करी जैसे मामलों में गंभीर मानसिक पीड़ा के कारण क्षति की पूर्ति के रुप में 20,000 और साधारण क्षति या चोट से पीड़ित बच्चे के लिये 10,000 की क्षतिपूर्ति का प्रावधान है.

फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिये मुख्यमंत्री ने लिखी चिट्ठी

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिख कर सभी ज़िलों में यौन अपराधों की सुनवाई के लिये फास्ट ट्रैक कोर्ट अधिसूचित करने का अनुरोध किया है. इसके लिये उन्होंने हर संभव मदद करने का अनुरोध किया है.

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि देश में महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध यौन अपराध गंभीर चिंता का विषय है. यद्यपि उक्त विषय पर पर्याप्त कानून बने हैं, परंतु उसके बावजूद उपरोक्त प्रकार के अपराधों में कमी होते नहीं दिख रही है तथा समय पर न्याय नहीं मिलना भी एक चिंता का विषय है.


अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने चिंता जताते हुये कहा है कि राज्य के न्यायालयों में महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध हुए यौन अपराधों के मामलों में शीघ्र व तत्परतापूर्वक विचारण की आवश्यकता है तथा हमारा यह दायित्व है, कि यौन अपराधों के पीड़ितों को त्वरित न्याय मिले और दोषी अतिशीघ्र कठोर दण्ड से दंडित हों.

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि यह उचित होगा कि प्रदेश के सभी जिलों में यौन अपराधों से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई हेतु आवश्यक संख्या में फास्ट ट्रैक कोर्ट अधिसूचित किए जाएं, जिसमें ऐसे प्रकरणों की सुनवाई समय सीमा में तथा दिन-प्रतिदिन हो. राज्य शासन इस हेतु समस्त आवश्यक सहयोग हेतु सहमत है. मुख्यमंत्री श्री बघेल ने न्यायमूर्ति श्री मेनन से इस विषय में आवश्यक निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है.

यह रिपोर्ट 16 अक्टूबर को 23:40 बजे अद्यतन की गई है.

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